Apple Shooter
Posted using ShareThis
Saturday, December 26, 2009
Friday, August 28, 2009
मैं इस बार काफी दिनों के बाद बनारस गया था. हर बार की ही तरह स्टेशन पर उतरने के साथ ही मन मैं उमंग और दोनों हाथो को कुछ इस तरह फल कर यहाँ की आबो हवा को महसूस किया. प्लात्फोर्म की सिदिहियाँ चढ़ते हुए मैं पग भर रहा था. प्लात्फोर्म नुम्ब्र्र ९ से १ तक पहुचते हुए किसी नेसेदी की तरह ही पान और चैये की तलब मुझा परेसान करने लगी.स्टेशन के भर होते ही मैंने सीधे पेट्रोलपम्प के बगल मैं स्तिथ ची पण की दुकानों की तरफ़ बढ़ चला. बैग रखने के साथ हे मैंने चीय माँगा. और साथ हे एक पान . उधेर से सुना सुनाया सवाल चुना या कथा का . चुना, सदी और तनी सा किमाम. एस दौरान मैं दुकान वाले के हाथो की तेजी देख मुस्कुरा रहा था. मुझे मुस्कुराता देख उसने पूछ का भइया कहे हस्त हाउ. इस सवाल का मेरे पास जब था भी और नही भी. फिर भी मैं कहा कुछ नही तू पान लगाव ऐसे हे बड़े बाद यहाँ अन्ने पर सब पुराणी याद तजा हो रही है. सायद अब तक पान वाला भी समझ गया की मैं खाती बनारसी टाइप का हूँ. पान थमाते हुए मुझसे पुछा कहाँ नौकरी करेला भइया.मैंने बोला जम्मू मैं।
अरे वहां तो बड़ी सर्दी है और आतंकी साला टी नरके काले हौं, मैंने कहा ठंडी तो हाँ लेकिन जम्मू मैं नही कश्मीर मैं. उसने एक लम्बी सनस ले फिर बोला ऐ साला आत्न्कियन से तो रोज़ पला पडत होई मैं बोला के ब्रिजेश और मुख्तार रोज बैखना का उसने बोला नही और उसको इसी के साथ अपने सवाल भी मिल गया था. मैं भी बैग उताह पांडेपुर के लिया ऑटो पकड़ना के लिया चल दिया.
अरे वहां तो बड़ी सर्दी है और आतंकी साला टी नरके काले हौं, मैंने कहा ठंडी तो हाँ लेकिन जम्मू मैं नही कश्मीर मैं. उसने एक लम्बी सनस ले फिर बोला ऐ साला आत्न्कियन से तो रोज़ पला पडत होई मैं बोला के ब्रिजेश और मुख्तार रोज बैखना का उसने बोला नही और उसको इसी के साथ अपने सवाल भी मिल गया था. मैं भी बैग उताह पांडेपुर के लिया ऑटो पकड़ना के लिया चल दिया.
Wednesday, July 22, 2009
नमस्ते
कुछ नया लिखना चाह रहा हूँ , क्या लिखूं किस बारे मैं लिखूं कुछ समझ नही आ रहा है । हालाँकि बनारस बारे मैं लिखना हो तो topic की कमी नही। अब अपने पूतु को हे लीजये अरे वही जो maidagin के आगे हरतीरथ पर रहते हैं। एक दिन लहुराबीर पर मिल गए । मिलते बात न चीत siidhe मरदे कल दिखत नही हुआ कही bahar गयल रहला काइतने मैं भिर्गु का पान का दुकान आ गई। टपक से पूतु बोले चाचा दू गो पान दिहा साथ में मुझसे भी पूछे बाबू तोहूँ पान लेबा, अब बनरस में रह केर पान न खा त बेवकूफी होई कहते हुए पान मेरी तरफ़ बढ़ा दिए। बाहर रहते हुए मैंने पान को मिस किया था इसलिए मैंने भी झट से पान थमा और मुँह मैं दाल लिया। हाँ बाबू का karat हाउ आज कल, मैंने बोला पत्रकार बन गया हूँ, अच्छा त पेपर छापतहुआ ठीक हाउ, इतना सुनते ही मेरा तो चेहरा लाल हो gaya.लेकिन पुत्तु को कुछ बोलना मतलब अपनी सामत मैंने भी सहमती मैं सर h
कुछ नया लिखना चाह रहा हूँ , क्या लिखूं किस बारे मैं लिखूं कुछ समझ नही आ रहा है । हालाँकि बनारस बारे मैं लिखना हो तो topic की कमी नही। अब अपने पूतु को हे लीजये अरे वही जो maidagin के आगे हरतीरथ पर रहते हैं। एक दिन लहुराबीर पर मिल गए । मिलते बात न चीत siidhe मरदे कल दिखत नही हुआ कही bahar गयल रहला काइतने मैं भिर्गु का पान का दुकान आ गई। टपक से पूतु बोले चाचा दू गो पान दिहा साथ में मुझसे भी पूछे बाबू तोहूँ पान लेबा, अब बनरस में रह केर पान न खा त बेवकूफी होई कहते हुए पान मेरी तरफ़ बढ़ा दिए। बाहर रहते हुए मैंने पान को मिस किया था इसलिए मैंने भी झट से पान थमा और मुँह मैं दाल लिया। हाँ बाबू का karat हाउ आज कल, मैंने बोला पत्रकार बन गया हूँ, अच्छा त पेपर छापतहुआ ठीक हाउ, इतना सुनते ही मेरा तो चेहरा लाल हो gaya.लेकिन पुत्तु को कुछ बोलना मतलब अपनी सामत मैंने भी सहमती मैं सर h
बनारस के घाट पर सूर्य ग्रहण पर जो appadhapi मची वह दुखदाई है। दिल से मैं मृत महिला के लिए प्रयेर करूंगा की उसकी आत्मा को शान्ति मिले। इस पावन मौके पर किसे का मरना वह भी तब जब वह धरम करम करने आई हो तो दुःख होता है, लेकिन इस नियती मान कर चुप बैठे sउरक्षा को जिम्मेदार माने। हलाँकि इस नगरी को मोक्ष की नगरी माना जाता है, लुक्क उसका जो यहाँ आकर अपने प्राण त्याग्ये। लेकिन इस तरह से तो मोक्ष नही मिल सकता, sउरक्षा key लिए जिम्मेदार हैं।
Sunday, July 5, 2009
Friday, July 3, 2009
बनारसी भाइयों को मेरा नमस्कार
सभी बनारसी भाइयों को मेरा सप्रेम नमस्कार* *इस ब्लॉग को कामयाब बनाने के लिए आप सभी के सहयोग की अपेक्षा करता हूँ और उम्मीद करता की आप अपना बहुमूल्य समय देने का कष्ट करेंगे * *आपका भाई * *पवन बनारसी * **
महादेब की नगरी
महादेव इस ब्लॉग के जरिये मैं आप लोग से मुखातिब हो रहा हूँ कोशिश है बनारस की मस्ती और अल्लहड़ पन आप सब कर सकूं पवन सिंह
Subscribe to:
Posts (Atom)